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10 Feb 2020 · 3 min read

निर्मला

निर्मला की शादी को पांच साल हो गया था !
वह अपने ससुराल में ननद राधिका सास और तीन साल के बच्चे के साथ रहती थी ! ससुर को मरे वर्षों हो गया था, जिससे परिवार की जिम्मेवारी उसके पति रमेश पर ही थी इसलिए रमेश ज्यादा तर बाहर ही रहता था ! निर्मला काफी गुस्सैल थी उसमें डर नाम की कोई चीज नहीं थी ! ससुराल में उसकी किसी के साथ बनती नहीं थी !
शाम का समय था निर्मला की सास सब्जी लाने के लिए बाजार गई थी घर में किसी बात को लेकर राधिका के साथ झगड़ा हो गया धीरे-धीरे बात हाथापाई तक पहुंच गई जैसे ही निर्मला ने राधिका को उसके गर्दन में हाथ लगाकर धक्का मारी राधिका दूर जाकर दीवार से टकराई और नीचे गिर पड़ी मानो जैसे मर गई हो डर के मारे निर्मला ने एक बैग में सामान भरा और अपने बच्चे को लेकर घर से निकल गई वह तेजी से बस अड्डे की ओर जा रही थी और पीछे भी देख लेती की कोई आ न रहा हो जब बस अड्डे पर पहुंची तो पता चला कि आज सभी बस ड्राइवर हड़ताल पर हैं !वहां से कुछ दूरी पर एक छोटा सा रेलवे स्टेशन था जहां पर दिन भर में केवल तीन ही गाड़ियां रुकती थी !
स्टेशन पहुंचने के बाद पता चला कि दूसरी ट्रेन 10 मिनट पहले निकल चुकी है और आखिरी ट्रेन रात्रि 8:00 बजे के बाद आएगी स्टेशन पर बनाए गए चबूतरे पर बैग रखकर खुद भी बच्चे को गोद में लेकर बैठ गई !

और सोचने लगी यह मुझसे क्या हो गया??
मैंने राधिका को क्यों धक्का मारा ?? पता नहीं अब राधिका कैसी होगी ?? मुझे घर जाने में 10:00 बज जाएगा क्या करूं फिर उसने अपने बैग में मोबाइल खोजा पर जल्दी-जल्दी में मोबाइल तो ससुराल में ही भूल आई थी!
आसपास में देखी तो चार व्यक्ति थे पर चाह कर भी उनसे मोबाइल नहीं मांग सकी वह सोच रही थी कि फोन करके अपनी मां से बता दूं कि वह स्टेशन पर मुझे लेने के लिए आ जाए क्योंकि स्टेशन से उतरने के बाद मछुआरों की बस्ती से जाना पड़ता था मछुआरे बड़े ह**** थे रात में आने जाने वालों का सामान छीन लेते थे आखिरकार 8:30 बजे ट्रेन आई और निर्मला गाड़ी में बैठ गई गाड़ी उसके स्टेशन पर 10:30 बजे पहुंचे स्टेशन पर कोई नहीं था सोची की चुपके चुपके बस्ती से निकल जाऊं किसी को पता भी नहीं चलेगा पर बस्ती में प्रवेश करते ही कुत्ते भोंकने लगे जिससे उसका बच्चा रोने लगा दो मछुआरे अपने झोपड़ी से निकलकर निर्मला के ठीक सामने खड़े हो गए आज पहली बार निर्मला डरी हुई थी एक ने चाकू निकालकर निर्मला के गर्दन पर रखकर बोला बैग दे निर्मला ने बैग दे दिया फिर से बोला कि अपने सारे गहने निकाल कर दे पर निर्मला मना करने लगी तभी दूसरे मछुआरे ने जोर का चाटा उसके गालों पर मारा और सारे गहने छीन लिए निर्मला रो रही थी मछुआरों ने चेतावनी दी कि चुपचाप यहां से चली जाओ वरना जान से मार देंगे करती भी क्या निर्मला अपने बच्चे को लेकर चुपचाप वहां से चल दी कुछ देर बाद घर के दरवाजे पर पहुंचकर दरवाजा खटखटाया उसकी मां ने दरवाजा खोला अपनी मां को पकड़ कर रोने लगी और प्रण किया कि आज से कभी भी किसी के साथ झगड़ा नहीं करुंगी !!

सुनिल गोस्वामी

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