दोहा गजल
अंतर्मन आहत हुआ ,दुखड़ा कहे किसान ।
सौभाग्य दुर्भाग्य मध्य विचलित है संसार।
वायु प्रदूषण से हुआ रोगीये संसार ।
कब आए सौभाग्य से, बारिश की बौछार ।
गैस चैंबर सम बना दिल्ली का आकाश।
अंतर्मन सब के दुखी ,कैसा ये व्यापार।
धूम्र प्रदूषण है बढ़ा, लाल हुआ आकाश।
खेती बान विधान दे ,दोषी सब संसार।
वायु प्रदूषित जग हुआ, बढा गगन का ताप।
जल प्रदूषण हो रहा, मौन हुआ अखबार।
डा.प्रवीण कुमार श्रीवास्तव,” प्रेम”