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21 Jan 2020 · 1 min read

घूस की दीप "जटा" ने जलाई

घूस के स्रोत सुनो ऐ स्रोता
बिन इसके है कैसी कमाई
फूल महक बिन, बाग चहक बिन
दूध लगे बिन जैसे मलाई
धन्य किए प्रभु स्रोत दिखाकर
धन्य हुआ अब बढ़ी कमाई
घूस के……………..

सूर्य चमक बिन चूड़ी खनक बिन
बेटी बिन हो जैसे विदाई
बात हमारी न बात तुम्हारी
बात ये हमने है सबकी बताई
घूस के…………

धाम धरम बिन, नाम करम बिन
मानव बिन हो जैसे लुगाई
घूस दिया प्रभु तुमको ही हरदम
घूस की राह तुम्हीं ने दिखाई
घूस के…………….

ताल कमल बिन, बात अमल बिन
सूत बिना जस मिले बधाई
आज यहाँ मुझे घूस ये दे दो
घूस मे त्याग दो सारी बुराई
घूस के…………

राज कनक बिन, राजा हनक बिन
कागज बिन हो जैसे लिखाई
तेरे भी पावन चरणों में तो
घूस की दीप “जटा” ने जलाई
घूस के………
जटाशंकर”जटा”
ग्राम-सोन्दिया बुजुर्ग
पोस्ट-किशुनदेवपुर
जिला-कुशीनगर
उत्तर प्रदेश
२०-०१-२०२०

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