Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
19 Jan 2020 · 1 min read

पावन हो आराधना

कुंडलियाँ – पावन हो आराधना
~~~~~~~~~~~~~~~~
पावन हो आराधना,
मन मे उपजे प्रीत।
तब गूँजे मनभाव में,
मानवता का गीत।
मानवता का गीत,
हृदय से हरदम गाओ।
बने जगत सुखधाम,
सभी को नित हरषाओ।
कह डिजेन्द्र करजोरि,
कर्म भी हो मनभावन।
फल की चिंता छोड़,
विनय नित करना पावन।।
~~~~~~~~~~~~~~~~
रचनाकार – डीजेन्द्र क़ुर्रे “कोहिनूर”
पीपरभवना,बलौदाबाजार (छ.ग.)
मो. 8120587822
,

Loading...