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18 Nov 2019 · 1 min read

प्रदूषण

‌ सुबह सुबह जब सैर को निकलता हूं ।तो देखता हूं कि चारों तरफ कोहरा सा छाया हुआ है।जहाँ खुली हवा होना चाहिए वहां पर अजीब सी घुटन महसूस हो रही है ।पता नहीं प्रदूषण कितना फैला हुआ है स्वच्छ हवा बिल्कुल गायब सी हो गई है । पेड़ों के अंधाधुंध काटने से और ऊंची ऊंची अट्टालिकाओ के निर्माण से स्वच्छ हवा का वातावरण खत्म होने लगा है ।उस पर वाहनों के फैले प्रदूषण से स्थिति और भी गंभीर हो गई है। रिहायशी क्षेत्रों में चल रही नाजायज फैक्ट्रियां इस इस प्रकार प्रदूषण को और बढ़ा रही हैंं । प्रदूषण का स्तर खतरे के निशान को पार कर चुका है। सरकार द्वारा स्कूलों में छुट्टी घोषित कर देने से समस्या का समाधान नहीं हो सकता। केवल कुछ दिन राहत से काम नहीं चलेगा ।इसके लिए कोई दृढ़ निश्चय लेने की आवश्यकता है ।इसके लिए शासन द्वारा समयबद्ध योजना बनानी होगी। जिसमें जनता की भागीदारी होना बहुत ही जरूरी है । जनसाधारण को भी अपनी मानसिकता का विकास करना पड़ेगा । जिससे वे प्रदूषण से होने वाली विसंगतियों के प्रति जागरूक हो सकें। और प्रदूषण फैलाने वाले तत्वों के विरुद्ध माहौल पैदा कर सकें । जिससे पर्यावरण और भी दूषित होने से बच सकें। समय-समय पर स्वच्छता एवं पर्यावरण शुद्धता अभियान चलाना भी आवश्यक है । समय रहते कोई कार्रवाई न करने पर विकट परिस्थिति उत्पन्न हो सकती है । तब प्रदूषण इतना बढ़ जाएगा कि उसमें जीवित रहना असंभव हो जाएगा।

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