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4 Nov 2019 · 1 min read

कुंडलियाँ -- प्रेम सदा बरसाय

कुंडलियाँ — प्रेम सदा बरसाय

कहते ज्ञानी संत हैं ,
जो मन मे अपनाय।
एकसूत्र जो बाँधकर,
प्रेम सदा बरसाय।।
प्रेम सदा बरसाय,
सभी को अपना माने।
कैसा किसका ध्यान,
उसे भी जग पहचाने।।
कह डिजेन्द्र करजोरि,
प्रेम से हैं जो रहते।
मानवता का राज,
सदा ही ज्ञानी कहते।।
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डिजेन्द्र कुर्रे “कोहिनूर”

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