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1 Nov 2019 · 3 min read

यातायात एवं परिवहन

घर से बाहर निकलता हूं तो हर जगह भीड़ और शोर पाता हूं ।सभी जल्दी में है किसी को अपने ऑफिस जाने की जल्दी है ।किसी को अपने स्कूल या कॉलेज जाने की जल्दी है। हर आदमी सपाटे में जल्दी निकलना चाहता है ।जैसे सभी जल्द से जल्द समय को पकड़कर अपने गंतव्य की ओर भागे जा रहे हैं। इस आपाधापी में जाम लगने पर कार वालों को कोसते। अपने से आगे निकलने वाले को डांटते डपटते सबसे आगे निकलने की कोशिश करते हुए ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करते भागे जाते हैं। ऐन वक्त पर घर से निकलने की आदत कभी जाती नही है ।और दिमाग पर हमेशा एक तनाव मौजूद रहता है कि समय पर पहुंचना है । ये महानुभाव समय का सुनियोजन क्यों नहीं समझ पाते कि निर्धारित समय पर पहुंचने के लिए कुछ समय पूर्व चलना होगा। जिससे रास्ते में विलंब होने पर भी वे समय पर पहुंच सकेंगे।
इसके अलावा एक ही समय पर खुलने वाले ऑफिस, कॉलेज , स्कूल इत्यादि को अपना समय अलग अलग रखने से सड़क पर होने वाले असामान्य ट्रैफिक से बचा जा सकेगा।
इसके अलावा सड़क निर्माण विभाग को सड़कों की व्यवस्था दुरुस्त रखनी पड़ेगी। परिवहन विभाग को भी विभिन्न वाहनों के लिए लेन व्यवस्था लागू करनी पड़ेगी ।जिसमें तीव्र गति एवं मध्यम गति वाहनों की आवाजाही सुचारू रूप से हो सके । जिसके फलस्वरूप सड़कों पर यातायात का भार कम हो सके ।
सरकार को भी वाहनों की संख्याओं पर रोक लगानी पड़ेगी एक से अधिक स्वामित्व वाले वाहन मालिकों पर प्रतिबंध लगाना पड़ेगा । जिसमें एक से अधिक वाहन रखने पर अतिरिक्त टैक्स का प्रावधान होना चाहिए। और यदि व्यक्तिगत वाहन का उपयोग व्यापार हेतु किया जावे इस प्रकार के वाहनों का पंजीयन निरस्त करने का प्रावधान होना चाहिए।
छोटे और कम प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों की ख़रीद को प्रोत्साहन देना चाहिए प्रदूषण रहित वैकल्पिक वाहन जैसे बैटरी चलित ,सौर ऊर्जा, एवं सीएनजी चलित वाहनों की खरीद में छूट का प्रावधान होना चाहिए। एवं उन पर लगने वाले अन्य टैक्स पर भी राहत मिलनी चाहिए। सरकार को देश में परिवहन व्यवस्था में सुधार लाने की आवश्यकता है। जिन स्थानों पर व्यवस्था नहीं है वहां पर सड़क निर्माण की आवश्यकता है ।इसके अलावा अधिक यातायात वाले मार्गों का चौड़ीकरण एवं बायपास पुलों का निर्माण करना चाहिए। सरकार की परिवहन नीति में जनसाधारण के लिए उन्नत एवं सुगम परिवहन व्यवस्था लागू करने के लिए जोर देना चाहिए ।इसके अलावा वाहनों के उत्पादन एवं विक्रय पर एक सीमा निर्धारित करना भी आवश्यक है। क्योंकि भारत में निजी एवं विदेशी कंपनियां उत्पादित वाहनों के रोज नए नए मॉडल बाजार में ला रही हैं ।जिसके फल स्वरूप सड़कों पर वाहनों का भार बढ़ता ही जा रहा है ।और सड़कें इस लायक नहीं है कि वे इस बढ़ी हुई वाहनों की संख्याओं का भार झेल सकें।
अतः सड़कों पर बढ़ती भीड़ पर काबू पाने के लिए एवं सुचारु यातायात एवं परिवहन व्यवस्था के लिए एक समग्र आकलन की आवश्यकता है। जिसमें दलगत राजनीति से उठकर जनसाधारण की समस्याओं पर विचार कर । जनहित में एक सुदृढ़ यातायात एवं परिवहन नीति गठन करने के लिये शासन को को प्रतिबद्ध होना पड़ेगा।

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