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26 Aug 2019 · 1 min read

एक मुक्तक

माँ सरस्वती की कृपा हमपर बरसती रहे।
लेखनी यूँ ही मेरी हरपल चलती रहे।
मै लिखूं गीत प्रेम और सत्य के।
इस साहित्य से सत्य की राह मिलती रहे।
बृन्दावन बैरागी “कृष्णा”

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