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2 Jun 2019 · 1 min read

मुक्तक

हर शख़्स की क़हानी को नाम नहीं मिलता।
हर क़ोशिश को क़ोई अंज़ाम नहीं मिलता।
ठहरी हुई यादों में ज़ी लेते हैं मग़र-
मंज़िल को पाने का पैग़ाम नहीं मिलता।

मुक्तककार- #मिथिलेश_राय

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