मुक्तक
दर्द में भी सदा मुस्कराते रहे,
प्यार भरकर दिये में जलाते रहे,
दर्द की हिमशिलाएँ पिघलती नहीं,
स्वयं को हम शिला सी बनाते रहे,
दर्द में भी सदा मुस्कराते रहे,
प्यार भरकर दिये में जलाते रहे,
दर्द की हिमशिलाएँ पिघलती नहीं,
स्वयं को हम शिला सी बनाते रहे,