मुक्तक
इक न इक दिन हमें जीने का हुनर आएगा
कामयाबी का कहीं पर तो शिखर आएगा
अपने पंखों को ज़रा तोल के देखो ताइर
आस्माँ गुफ्तगू करने को उतर आएगा
इक न इक दिन हमें जीने का हुनर आएगा
कामयाबी का कहीं पर तो शिखर आएगा
अपने पंखों को ज़रा तोल के देखो ताइर
आस्माँ गुफ्तगू करने को उतर आएगा