मुक्तक
“शब्द मेरे बोलते हैं बादलों की बात ,
घुंगूरुओं कि ना कोई पायलों की बात,
तमाम खेत बन रहे निवाले शहरों के,
किसान क्या कहे अब हलों की बात “
“शब्द मेरे बोलते हैं बादलों की बात ,
घुंगूरुओं कि ना कोई पायलों की बात,
तमाम खेत बन रहे निवाले शहरों के,
किसान क्या कहे अब हलों की बात “