मुक्तक
हम जिसे कहते है कि शालीनता है,
उनके भीतर तो बसी बस हीनता है,
वो चढे छत पर हमें सीढी बनाकर
बस उन्हीं के ही लिए स्वाधीनता है ?
हम जिसे कहते है कि शालीनता है,
उनके भीतर तो बसी बस हीनता है,
वो चढे छत पर हमें सीढी बनाकर
बस उन्हीं के ही लिए स्वाधीनता है ?