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14 Jan 2019 · 1 min read

तन्हाई

तन्हाइयों का जाम पीता हूँ सुबह शाम,
गम के नशे झूमता जिन्दगी है गुमनाम,
महफ़िल है मेरे दर्द की जख्म है मेहमान,
टूटे दिलों की दास्तां गाता हूँ सारे आम,
सुनते हैं लोग राह में कहते है वाह वाह,
मेरे दर्द में लोग देते वाहवाही का ईनाम,

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