*समारोह को पंखुड़ियॉं, बिखरी क्षणभर महकाती हैं (हिंदी गजल/ ग
सत्य क्या है ?
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
मेरे मालिक मेरी क़लम को इतनी क़ुव्वत दे
"खुद का उद्धार करने से पहले सामाजिक उद्धार की कल्पना करना नि
🙏 🌹गुरु चरणों की धूल🌹 🙏
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
मेरी हास्य कविताएं अरविंद भारद्वाज
आप की है कोशिशें तब नाकाम होती है।
मन पायेगा कब विश्रांति।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
प्रेम के नाम पर मर मिटने वालों की बातें सुनकर हंसी आता है, स
हे कौन वहां अन्तश्चेतना में
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
"राज़-ए-इश्क़" ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
ॐ
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
आँखे हैं दो लेकिन नज़र एक ही आता है