सफ़ीना छीन कर सुनलो किनारा तुम न पाओगे
कोई भी जंग अंग से नही बल्कि हौसले और उमंग से जीती जाती है।
मन मंथन पर सुन सखे,जोर चले कब कोय
🌻 गुरु चरणों की धूल🌻
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
*धरती हिली ईश की माया (बाल कविता)*
अधिक हर्ष और अधिक उन्नति के बाद ही अधिक दुख और पतन की बारी आ
हम सब भी फूलों की तरह कितने बे - बस होते हैं ,
वक़्त के साथ खंडहर में "इमारतें" तब्दील हो सकती हैं, "इबारतें
खुद में भी एटीट्यूड होना जरूरी है साथियों
कैसे निभाऍं उस से, कैसे करें गुज़ारा।
छोड़ तो आये गांव इक दम सब-संदीप ठाकुर
शाम सवेरे हे माँ, लेते हैं तेरा हम नाम
बड़े महंगे महगे किरदार है मेरे जिन्दगी में l
गर्म दोपहर की ठंढी शाम हो तुम