poem
गैरत पर कब कहां नवाजिश होती हैं।
खुद्दारों से कहीं गुजारिश होती हैं?
हम तो पंकज प्यास पे जिंदा रहते हैं।
सहराओं पर कितनी बारिश होती है?
पंकज अंगार
8090853584
गैरत पर कब कहां नवाजिश होती हैं।
खुद्दारों से कहीं गुजारिश होती हैं?
हम तो पंकज प्यास पे जिंदा रहते हैं।
सहराओं पर कितनी बारिश होती है?
पंकज अंगार
8090853584