ऋषिवर क्रौंच सु नाम पर प्रजा कहे श्री कुंच /
चहुँ दिश बोध-विमान द्विज,ना कोई भी टुंच //
उक्त पंक्तियाँ पं बृजेश कुमार नायक की कृति “क्रौंच सु ऋषि आलोक” कृति की एक कुंडलिया की दो पंक्तियाँ है. जो यह बतलाती है कि क्रौंच ऋषि को प्रजा कुंच नाम से भी जानती, पहचानती एवं पुकारती थी.
ऋषिवर क्रौंच सु नाम पर प्रजा कहे श्री कुंच /
चहुँ दिश बोध-विमान द्विज,ना कोई भी टुंच //
उक्त पंक्तियाँ पं बृजेश कुमार नायक की कृति “क्रौंच सु ऋषि आलोक” कृति की एक कुंडलिया की दो पंक्तियाँ है. जो यह बतलाती है कि क्रौंच ऋषि को प्रजा कुंच नाम से भी जानती, पहचानती एवं पुकारती थी.