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2 Sep 2019 12:53 PM

Nice Line : सुबह का ये एक घंटा ऐसा होता था जब न तो कोई फ़ोन होता था न नेट न ऐसी न बिस्तर ।बस साथ था लोगों का और प्रकृति का । और जिस साथ से हमें सुकून मिलता है वही होता है वास्तविक साथ।

6 Nov 2016 09:18 AM

बहुत खूब,
दो वर्ष पहले मेरी सहधर्मिणी ऐसी ही एक कहानी पार्क नाम से उनके पहले कथा संग्रह ” कच्ची मिट्टी” में प्रकाशित हुई थी।
आप उसे पढ़ने की कृपा करेंगी, यह पुस्तक flipkart और amazon पर उपलब्ध है।
सादर
प्रवीण

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