Comments (2)
6 Nov 2016 09:18 AM
बहुत खूब,
दो वर्ष पहले मेरी सहधर्मिणी ऐसी ही एक कहानी पार्क नाम से उनके पहले कथा संग्रह ” कच्ची मिट्टी” में प्रकाशित हुई थी।
आप उसे पढ़ने की कृपा करेंगी, यह पुस्तक flipkart और amazon पर उपलब्ध है।
सादर
प्रवीण
Nice Line : सुबह का ये एक घंटा ऐसा होता था जब न तो कोई फ़ोन होता था न नेट न ऐसी न बिस्तर ।बस साथ था लोगों का और प्रकृति का । और जिस साथ से हमें सुकून मिलता है वही होता है वास्तविक साथ।