क्या खूब कही आपने बात,
काटा है मुझे भी तीन बार,
लगाने पडे इंजेक्शन,
ताकि ना हो पाये इनफैक्शन,
मै तो हूँ ही इसका भुक्त भोगी,
दंस झेला है इसका पहले भी,
मेरे भाई को काट खाया था कुत्ते ने,
जान ही चली गई थी इस झमेले में,
छोड गये थे अपने पीछे कई कठिनाई को,
माता पिता के पालन पोषण की जिम्मेदारी को,
घर बार खेती बाड़ी, अब मेरे जिम्मे आ गयी,
नौकरी छोडने की नौबत आ गई,
कट रही है जिंदगी बिना पेंशन के ,
हो रही है खेती तो अब टेंशन में,
ना उपज का दाम ठीक मिलता है,
ना उम्र का मिजाज ठीक रहता है,
निर्भर रहने लगे हैं बहू बेटे पर,
नौकरी करते हैं वह भी तो ठेके पर,
कुल मिला जुला कर ठिकरा कुत्ते के सिर है,
लोगों को है पालने का शौक तो पालें,
घर पर रखें, बाहर ना निकालें,
पर छोड देते हैं आवारा घुमने को,
काटते हैं बुढे, बच्चे और औरतें को!
क्या खूब कही आपने बात,
काटा है मुझे भी तीन बार,
लगाने पडे इंजेक्शन,
ताकि ना हो पाये इनफैक्शन,
मै तो हूँ ही इसका भुक्त भोगी,
दंस झेला है इसका पहले भी,
मेरे भाई को काट खाया था कुत्ते ने,
जान ही चली गई थी इस झमेले में,
छोड गये थे अपने पीछे कई कठिनाई को,
माता पिता के पालन पोषण की जिम्मेदारी को,
घर बार खेती बाड़ी, अब मेरे जिम्मे आ गयी,
नौकरी छोडने की नौबत आ गई,
कट रही है जिंदगी बिना पेंशन के ,
हो रही है खेती तो अब टेंशन में,
ना उपज का दाम ठीक मिलता है,
ना उम्र का मिजाज ठीक रहता है,
निर्भर रहने लगे हैं बहू बेटे पर,
नौकरी करते हैं वह भी तो ठेके पर,
कुल मिला जुला कर ठिकरा कुत्ते के सिर है,
लोगों को है पालने का शौक तो पालें,
घर पर रखें, बाहर ना निकालें,
पर छोड देते हैं आवारा घुमने को,
काटते हैं बुढे, बच्चे और औरतें को!