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21 Mar 2025 09:19 AM

श्याम सुंदर जी,सादर अभिवादन! वर्तमान परिवेश की राजनीतिक क्रिया कलाप मे जब लोगों ने रोजमर्रा की समस्या को छोड़कर धर्म संप्रदाय, जाति, पर फ़ोकस कर लिया हो तो,राजनीति भी डिमांड आधारित कार्य हो गया लगता है, जो आमजन को भाए उसे ही किया जाए! लगता नहीं जनमानस में अपने सरोकार पर ध्यान रखने की आवश्यकता महसूस हो पाती हो, बस मंदिर मस्जिद, जातपात, जैसे मुद्दे पर ही फोकस कर रखा है,अन्यथा क्रांति की जरूरत ही कहाँ पडती, अपने मतदान से ही सत्ता से बाहर कर दिया जाता रहा है! फिर भी जनाक्रोश के लिए कोई तो प्रयास हो,इसके लिए अपने विचार रखना जारी रखा जाता रहेगा! आभार सहित।

21 Mar 2025 11:43 AM

वर्तमान में देश की जनता को ज्वलंत मुद्दों से भटकाकर
जाति , धर्म , क्षेत्रीय भाषा विवाद में उलझाकर राजऩैतिक स्वार्थ पूर्ति के प्रयास किये जा रहे हैं। अतः इस प्रकार के तत्वों से जनता को सावधान करने की आवश्यकता है।
जनता में जागरूकता फैलाने तथा इन तत्वों को हतोत्साहित करने का प्रयास किया गया है।

आपकी प्रतिक्रिया का आभार !,🙏

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