Comments (9)
28 Apr 2024 10:24 PM
जो मेरा नहीं था उसे अपना-अपना कहता रहा
बहुत अच्छा लिखे हैं आप।
28 Apr 2024 02:32 PM
नमस्कार सोलंकी साहब।
28 Apr 2024 10:29 PM
सोलंकी जी ये कथन आप के किसी प्रशस्ति पत्र से कम नही है,सुरेश कुमार चतुर्वेदी जी बहुत अनुभवी लेखक है।
29 Apr 2024 09:46 AM
बिलकुल सर बिलकुल….💐
मैं जितना झटपटाता रहा वो उतना मुझे कसती गई। बहुत खूब भाई ।👍👍🎁💯💯
हाँ, सर मुझे ऐसा ही लगता है….
प्रणाम…