Comments (4)
15 Jan 2022 12:08 PM
सत्य वचन
ओनिका सेतिया 'अनु '
Author
15 Jan 2022 12:41 PM
धन्यवाद जी
सुख दुःख की हर इक माला कुदरत ही
पिरोती है,
हाथों की लकीरों में ये जागती सोती है,
श़ुक्रिया !
धन्यवाद जी