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23 Dec 2021 08:08 PM

ज़ख्म देना दुनियां का काम।
कर्म अपना हम करते रहे अविराम।
सुन ले सब की _ कर ले मन की,
ज़ख्म देने वाला ही होगा बदनाम।।
सुंदर भाव आदरणीय, प्रणाम। कल भोपाल आ रहा हूं।।मिलोगे

कल आफिस में ही रहूंगा।आईएगा।

अति उत्तम

आपको सादर नमस्कार धन्यवाद

23 Dec 2021 01:50 PM

बहुत सुंदर प्रस्तुति, लोगों की मजबूरी है सर जी नमस्कार आपको जी धन्यवाद आपका जी

आपको सादर नमस्कार धन्यवाद सर

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