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आपके कथा लेखन का एक अन्दाज अलग ही है , पढ़ते हुए लगता ही नही कोई कथा पढ रहे ऐसा लगता है जैसे कोई चलचित्र देख रहे भय्या संजीव जी ये कथा लेखन की कला आपको साहित्य के अन्य मित्रों से बिल्कुल अलग ही मुकाम पर ले जाएगी | डा ० अरुण कुमार शास्त्री
सादर अभिवादन सहित नमन आदरणीय श्री, आपने जिन शब्दों से मेरा उत्साहवर्धन किया है वह हमारे लेखन के लिए बहुमूल्य है।
आपके कथा लेखन का एक अन्दाज अलग ही है , पढ़ते हुए लगता ही नही कोई कथा पढ रहे ऐसा लगता है जैसे कोई चलचित्र देख रहे भय्या संजीव जी ये कथा लेखन की कला आपको साहित्य के अन्य मित्रों से बिल्कुल अलग ही मुकाम पर ले जाएगी | डा ० अरुण कुमार शास्त्री
सादर अभिवादन सहित नमन आदरणीय श्री, आपने जिन शब्दों से मेरा उत्साहवर्धन किया है वह हमारे लेखन के लिए बहुमूल्य है।