बेहतरीन लेखन आदरणीय। मेरी कविता तुम्हीं हो पापा का अवलोकन कर अपना आशीर्वाद प्रदान करें।
परिस्थितियां इंसान को कितना विवश कर सकती हैं इसका उदाहरण मिलता है इस कहानी में। करुणा!! विवशता!! तृष्णा!! को दर्शाती कहानी है। प्रणाम?
बहुत ही सुंदर कहानी?। कृपया आप भी मेरी कविता ‘ मैं इश्कबाज़ नहीं ‘ का अवलोकन कर प्रतिक्रिया देने का कष्ट करें
मार्मिक
मार्मिक रचना ।
वासु जी आभार
मां के प्रति स्नेह स्वाभाविक है,और पुत्री के रूप में जो किया जा सकता है, वह किया ऐसा लिखा भी है! किन्तु यह सच है कि यदि परिजन सहयोग न करें तो फिर स्वयं को कुंठा होती है!मैंने यह अपने आप पर महसूस किया है!और मैं भी चाह कर भी वह सेवा करने में असमर्थ रहा हूँ, पर संतुष्ट हूं कि वह मृत्यु का वर्ण करते समय मेरे पास मेरी गोद में थी,और मैंने उन्हें अंतिम विदाई भी दी!आज शायद उन्हीं का आशीष है, जो उनके बाद भी मुझे उनका स्मरण होते ही सारे कष्ट दूर हो जाते हैं!ईश्वर आप पर पृत्रों की असीम कृपा करें।
आदरणीयJaikrishan जी मेरी कहानी को पसंद करने के लिए आभार।देरी के लिए क्षमा
????
आदरणीय घनश्याम शर्मा जी आभार।
शुक्रिया
Love you maa
नीलीश सिंह जी आभार
बहुत बढ़िया। लेकिन अंत सटीक नहीं लगा। टिप्पणी ठीक नहीं लगे तो माफी चाहता हूँ
आदरणीय मुकेश शर्मा जी आभार आपने जो कमी बताई है उस पर मैं ध्यान दूंगी।
Painful
Aansu aa gaye
मार्मिक रचना
बहुत ही मार्मिक चित्रण
painful
सुपर
Bahut achha
हृदयस्पर्शी रचना है !
आप कैसे अपनी रचना इतने लोगों तक पहुचाते हैं ।
आप हमारी रचना भी पढ़े । और आपको पसंद आए तो छोटा बालक समझकर मार्गदर्शित करें । हमे भी अपनी रचना सभी तक पहुचाना हैं ।
कृपया अपना सुझाव दें
बहुत मार्मिक कहानी,दिल छू गई👌👏😥😌