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26 Nov 2021 10:34 PM

गुरु जी अत्यंत खूबसूरत लाइनें आप ने रची है। बहुत खूब।

बहुत खूब आपको सादर अभिवादन

ज़िंदगी भर भटकता रहा खुद के अंदर झांक कर ना देखा ,
वह तो तेरे अंदर बसता था जिसे अब तक तू पत्थर में तलाशता रहा ,

धन्यवाद !

25 Nov 2021 09:22 AM

बहुत बहुत आभार आपका जी धन्यवाद सर जी आपको धन्यवाद आपका जी

आभार !

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