Comments (5)
25 Nov 2021 08:36 AM
बहुत खूब आपको सादर अभिवादन
25 Nov 2021 06:41 AM
ज़िंदगी भर भटकता रहा खुद के अंदर झांक कर ना देखा ,
वह तो तेरे अंदर बसता था जिसे अब तक तू पत्थर में तलाशता रहा ,
धन्यवाद !
Phoolchandra Rajak
Author
25 Nov 2021 09:22 AM
बहुत बहुत आभार आपका जी धन्यवाद सर जी आपको धन्यवाद आपका जी
25 Nov 2021 12:33 PM
आभार !
गुरु जी अत्यंत खूबसूरत लाइनें आप ने रची है। बहुत खूब।