Comments (4)
22 Oct 2021 08:22 PM
बहुत सुंदर मुक्तक,यही कलयुग का वर्णन है।सबके सब उल्टी दिशा में बहने लगते हैं। धन्यवाद आपका जी।
Shyam Sundar Subramanian
Author
22 Oct 2021 08:31 PM
धन्यवाद !
सही कहा आपने आपको सादर नमस्कार
धन्यवाद !