Comments (4)
7 Oct 2021 08:56 PM
वाह, नाम के अनुरूप ही अति सुंदर ग़ज़ल का ‘सृजन’ कर दिया ! चलो हम सब इसे पढ़ने का अब काम करते हैं ! पढ़कर जिसे इक हसीन, खूबसूरत शाम करते हैं !!
सुरेखा कादियान 'सृजना'
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7 Oct 2021 09:00 PM
जी आभार??
बहुत खूब सृजन,
जी हार्दिक आभार?