Comments (5)
31 Aug 2021 10:41 AM
दिल पर जख़्म वो देते हैं ,
पर सितम़गर हमको कहते हैं ,
खुद तो बावफ़ा रह ना सके ,
पर हमको वफ़ा का गुन्हेगार कहते हैं ,
हवा के दोस पर रखे हुए च़राग हैं वो ,
ग़र बुझ गए ,
हमारे गे़सुओं की लहर पर इल्ज़ाम देते हैं,
ग़र अश्क़ पी भी लिए होंठ सी भी लिए ,
हमारी चुप्पी को रूठने का इल्ज़ाम देते हैं,
श़ुक्रिया !
DEVSHREE PAREEK 'ARPITA'
Author
31 Aug 2021 10:50 AM
वाह… बहुत खूब ??
31 Aug 2021 11:45 AM
श़ुक्रिया.!
सफाई क्यों दूं । सुंदर गजल
Sir, धन्यवाद ???