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बहुत सुंदर प्रस्तुति धन्यवाद आपका जी अपना मोबाइल नंबर जरुर लिखे धन्यवाद आपका जी

31 Aug 2021 07:16 AM

बहुत सुन्दर प्रस्तुति

31 Aug 2021 10:07 AM

Dhanyawad sir ji,??

कृष्ण तो सर्वव्यापी है वो तो सर्वत्र व्याप्त है, इसी सर्वत्र में मंदिर भी आता है, तो सीधा सा अर्थ है कि मंदिर में भी वही होगा , इसलिए काव्य रचना की ये पंक्ति, क्या कृष्ण है मंदिर मे ? या न जाने मंदिर में कौन रहता है, सनातन संस्कृति के अनुरूप नहीं लगता,
मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे तो एक माध्यम होता है भावनाओं को परिष्कृत कर ईश्वर से संपर्क स्थापित करने का , श्रद्धा भाव जगाने का, अन्तर्मन में विद्यमान ईश्वर को जागृत कर आत्मसाक्षात्कार करने का,
अद्वैत दर्शन” में कहा गया है कि “यत्र जीवः तत्र शिवः” तो क्या लोगों ने अपनी क्षुधा मिटाने के लिए पशुओं की हत्या बंद कर दी,
वास्तव में ‘द्वैत’ के अभाव में ‘अद्वैत’ की सिद्धि नहीं हो सकती।
ज्ञानप्राप्ति से पूर्व द्वैत मोह का कारण है, किन्तु बोध हो जाने पर पता चलता है कि अद्वैत से द्वैत कहीं अधिक सुन्दर है
भक्ति परमात्मा में आस्था और प्रेम का नाम है। नारद ने उसे ‘परमप्रेमरूपा’ कहा है।अगर किसी को धूप दिखाने से अगरबत्ती दिखाने से श्रद्धा भाव, भक्ति भाव जागृत होता है और भाव परिवर्तन होता है तो हमें तकलीफ क्यों,
यदि कर्मयोग के बल पर लक्ष्य प्राप्ति एवं मुक्ति मिल सकती है तो भक्तियोग को भी कम कर आकलन नहीं कर सकते, भक्तियोग यदि सिद्ध हो जाता है तो यह कर्मयोग को और भी मजबूत करता है।

आलोचना नहीं है कहीं भी, सिर्फ विवेचना कर रहा था भक्तियोग और कर्मयोग में संबंध स्थापित करने का, सिर्फ समझ का फर्क़ है,
जहाँ तक पाखंड का सवाल है तो यह तो सभी धर्मों में हो सकता है।

31 Aug 2021 08:56 AM

धर्म कोई भी हो पाखंड तो पाखंड है। अगर यह पाखंड सभी धर्मों में है तो सभी कुछ पाखंड है मेरा मुद्दा तो सिर्फ धार्मिक आडंबर को खत्म करना, पाखंड को खत्म करना सच्ची भक्ति स्थापित करना है। धर्म कोई भी हो किंतु कर्म एक हो आपसी सद्भावना आपसी प्रेम समन्वय की भावना, यही धर्म है।

30 Aug 2021 03:00 PM

एक अलग ‘दर्शन’ स्थापन का कवयित्री का प्रयास ! काबिले तारीफ़ ! सच है कि जो सत्कर्म करते हुए, सन्मार्ग पर चलते हुए, सदाचार का परिचय देते हुए, अपनी हर जवाबदेही ईमानदारी पूर्वक निभाने में सक्रिय भूमिका निभा सकता है वह हर इंसान ही कृष्ण के समकक्ष है ! पर गलत कार्य को अंज़ाम देनेवाला कोई भी शख़्स ऐसा दर्जा पाने का हकदार कदापि नहीं हो सकता !
सुंदर सोच, सुंदर अभिव्यक्ति के साथ लाज़वाब प्रस्तुति ! ??

पूर्णतया सत्य ??

श्रीकृष्ण दर्शन के प्रतीकात्मक भावों से व्यक्त अतिसुंदर प्रस्तुति !
धन्यवाद !?

30 Aug 2021 10:55 AM

Bahut bahut dhanyawad sir ji

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