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19 Jul 2021 01:36 PM

खुशियों का संसार! श्रीमान चतुर्वेदी जी खुशियों की कोई परावार नहीं है, जहां खुशियां बरसती हैं वहां छोटे मोटे कष्ट,पीडा नहीं पहुंचा पाते हैं, किन्तु अफसोस तो यह है कि खुशियां आती ही कहां है, एक गीत काफी लोकप्रिय है,गम की चिंता क्यों सताती है गम तो अपना साथी है, खुशियां हैं एक छांव ढलती आती है जाती है,गम तो अपना साथी है! सादर प्रणाम।

आपको सादर नमस्कार सर, हां सही है, बहुत सुंदर गीत है।

19 Jul 2021 12:19 PM

बहुत सुन्दर

आपको सादर नमस्कार धन्यवाद

19 Jul 2021 11:40 AM

बहुत सुंदर

आपको सादर नमस्कार धन्यवाद सर

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