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बेहतरीन कहानी, RAKESH JI।आपसे विनम्र अनुरोध है कि मेरी रचना “मित्रता की बेल” का भी अवलोकन करने की कृपा करें एवं यदि पसंद आए तो अपनी टिप्पणी देकर अनुग्रहीत भी करें। साभार।

Ek achha aur saty lekhan

शुक्रिया !

उत्तम सोच से परिपूर्ण कहानी | आप मेरी कहानियाँ ” अफ़सोस” एवं ” मुस्कान लौट आई ” पर भी अपनी प्रतिक्रिया साझा करेंगे तो मुझे ख़ुशी होगी |

अति उत्तम! राकेश कुमार श्रीवास्तव ‘राही’ जी….. बधाई!!

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