Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Jul 2021 · 2 min read

प्रेम का वायरस

प्रतीक एवं साक्षी लम्बे समय से लिव-इन-रिलेशनशिप में रह रहे थे, परंतु विगत कुछ दिनों से इन दोनों में अनबन चल रही थी। बात इतनी बिगड़ गई कि दोनों ने अलग रहने का फैसला किया। उनके बीच की समस्या ऐसी नहीं थी कि पैचअप न हो सके, परंतु दोनों का अहंकार आड़े आ रहा था। दोनों एक-दूसरे से अलग होने के फैसले से दुखी भी थे, परंतु इस बात को एक-दूसरे को कहने में झिझक रहे थे। दोनों ने अलग रहने के लिए अपना-अपना आशियाना भी ढूंढ लिया और शिफ्ट होने के लिए अपने-अपने सामान पैक करने लगे। उन्हें व्यक्तिगत सामानों को पैक करने में कोई दिक्कत नहीं आई, परंतु साझा सामानों को समेटने में दोनों को संकोच हो रहा था। फिर भी उन्होंने बैठ कर आपसी समझौते से साझे सामान का बँटवारा कर लिया।
दो दिन के बाद वे दोनों शिफ्ट होने वाले थे, तभी शहर में कोरोना महामारी के कारण लॉकडाउन हो गया। उन दोनों को विश्वास था कि चौदह दिन के बाद लॉकडाउन खुल जाएगा। अतः दोनों अपने-अपने पैकिंग को खोले बिना किसी तरह गुज़ारा करने लगे। न चाहते हुए भी वे एक-दूसरे का सामान साझा करने लगे। साक्षी के पाक-कला कौशल को देख कर प्रतीक हैरान था, तो वहीँ प्रतीक का घरेलू कार्यों में सहयोग के लिए साक्षी चाह कर भी आभार व्यक्त नहीं कर पा रही थी। दोनों एक-दूसरे के भावनाओं को सम्मान दे रहे थे। आर्थिक एवं शारीरिक आकर्षण के लिए वे एक दूसरे के करीब आए थे और कभी विवाह के बंधन में बंधने के बारे में सोच रहे थे, परन्तु समयाभाव के कारण वे एक-दूसरे को वक़्त नहीं दे पा रहे थे। जिसके कारण उनका आपसी ताल-मेल बिगड़ने लगा था। ऐसे भी स्वार्थ पर टिके रिश्तों का हश्र ऐसा ही होता है।
अब उन दोनों के पास एक-दूसरे के साथ बिताने के लिए वक्त ही वक्त था। वे एक-दूसरे को अब अच्छी तरह से समझ रहे थे और उनदोनों के बीच आत्मिक सम्बन्ध मजबूत हो रहे थे। एक दिन प्रतीक ने कहा, “साक्षी मुझे आज यह स्वीकार करने में ज़रा भी संकोच नहीं है कि पहले मैं तुमसे प्यार नहीं करता था और अब मैं तुम्हारे बिना जी नहीं सकता। क्या हमलोग अपने एक-दूसरे से अलग होने के निर्णय पर पुनः विचार नहीं कर सकते हैं?”
साक्षी ने कहा, “इस लॉकडाउन में मुझे भी तुम्हें समझने का मौका मिला और जो तुम्हारे दिल का हाल है, वैसा ही हाल मेरे दिल का है।”
इतना कहने-सुनने के बाद वे एक दूसरे से आलिंगनबद्ध हो गए। कोरोना के लॉकडाउन का चौथा चरण चल रहा है और इन दोनों के प्रेम का वायरस उनके आत्मा तक को प्रभावित करने लगा है।
© राकेश कुमार श्रीवास्तव ‘राही’

2 Likes · 5 Comments · 302 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
पिनाक धनु को तोड़ कर,
पिनाक धनु को तोड़ कर,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
अफसोस है मैं आजाद भारत बोल रहा हूॅ॑
अफसोस है मैं आजाद भारत बोल रहा हूॅ॑
VINOD CHAUHAN
मैं भी तुम्हारी परवाह, अब क्यों करुँ
मैं भी तुम्हारी परवाह, अब क्यों करुँ
gurudeenverma198
फोन नंबर
फोन नंबर
पूर्वार्थ
कर गमलो से शोभित जिसका
कर गमलो से शोभित जिसका
प्रेमदास वसु सुरेखा
चेहरे की पहचान ही व्यक्ति के लिये मायने रखती है
चेहरे की पहचान ही व्यक्ति के लिये मायने रखती है
शेखर सिंह
दोहे : प्रभात वंदना हेतु
दोहे : प्रभात वंदना हेतु
आर.एस. 'प्रीतम'
मैं नारी हूं...!
मैं नारी हूं...!
singh kunwar sarvendra vikram
चलो संगीत की महफ़िल सजाएं
चलो संगीत की महफ़िल सजाएं
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
*।। मित्रता और सुदामा की दरिद्रता।।*
*।। मित्रता और सुदामा की दरिद्रता।।*
Radhakishan R. Mundhra
"कोहरा रूपी कठिनाई"
Yogendra Chaturwedi
.......रूठे अल्फाज...
.......रूठे अल्फाज...
Naushaba Suriya
चांद से सवाल
चांद से सवाल
Nanki Patre
"खुश होने के लिए"
Dr. Kishan tandon kranti
आस लगाए बैठे हैं कि कब उम्मीद का दामन भर जाए, कहने को दुनिया
आस लगाए बैठे हैं कि कब उम्मीद का दामन भर जाए, कहने को दुनिया
Shashi kala vyas
मोहब्बत की दुकान और तेल की पकवान हमेशा ही हानिकारक होती है l
मोहब्बत की दुकान और तेल की पकवान हमेशा ही हानिकारक होती है l
Ashish shukla
मत बांटो इंसान को
मत बांटो इंसान को
विमला महरिया मौज
* बहुत खुशहाल है साम्राज्य उसका
* बहुत खुशहाल है साम्राज्य उसका
Shubham Pandey (S P)
2507.पूर्णिका
2507.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
अपनी स्टाईल में वो,
अपनी स्टाईल में वो,
Dr. Man Mohan Krishna
जय शिव शंकर ।
जय शिव शंकर ।
Anil Mishra Prahari
परिश्रम
परिश्रम
ओंकार मिश्र
■ क़तआ (मुक्तक)
■ क़तआ (मुक्तक)
*Author प्रणय प्रभात*
एक तूही ममतामई
एक तूही ममतामई
Basant Bhagawan Roy
जीवन सूत्र (#नेपाली_लघुकथा)
जीवन सूत्र (#नेपाली_लघुकथा)
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
दीप प्रज्ज्वलित करते, वे  शुभ दिन है आज।
दीप प्रज्ज्वलित करते, वे शुभ दिन है आज।
Anil chobisa
*बहकाए हैं बिना-पढ़े जो, उनको क्या समझाओगे (हिंदी गजल/गीतिक
*बहकाए हैं बिना-पढ़े जो, उनको क्या समझाओगे (हिंदी गजल/गीतिक
Ravi Prakash
काश.......
काश.......
Faiza Tasleem
💐प्रेम कौतुक-325💐
💐प्रेम कौतुक-325💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
दुनिया कैसी है मैं अच्छे से जानता हूं
दुनिया कैसी है मैं अच्छे से जानता हूं
Ranjeet kumar patre
Loading...