Comments (3)
14 May 2021 11:57 AM
मनुष्य की पिपासा तृप्त नहीं हो सकती उसे पाने के लिए वह अनाप-शनाप हर कदम आगे बढ़ाने पर आमादा है! सादर अभिवादन रजक साहेब।
14 May 2021 09:23 AM
बहुत सुंदर आपको सादर अभिवादन।
अति उत्तम