Comments (3)
13 May 2021 11:24 AM
तुम ढूंढ रहे थे वन वन में,मैं बैठा तेरे अंदर में।। बहुत सुंदर सर नमस्कार।
13 May 2021 12:09 PM
धन्यवाद सर
तुम ढूंढ रहे थे वन वन में,मैं बैठा तेरे अंदर में।। बहुत सुंदर सर नमस्कार।
धन्यवाद सर
ईश्वर की सत्ता को नकारते हुए, वक्त के अनुसार प्रेम, करुणा, और सहृदयता पर विशेष बल है, जो किसी हद तक ठीक है!! फिर भी हम एक ऐसी शक्ति के अधीन हैं जो सभी को संचालित करती है,गुण दोष दोनों ही रुप में! सादर अभिवादन प्रशांत जी!