Comments (15)
17 Jun 2021 09:30 AM
कृप्या मेरी रचना “औरत” का टिप्पणी देकर मुल्यांकन कर दें।सर जी।
17 Jun 2021 09:27 AM
अति सुन्दर।
Shyam Sundar Subramanian
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17 Jun 2021 01:10 PM
धन्यवाद !
8 May 2021 04:23 PM
हां शायद यह इंतिहा का ही दौर है,हर बात बिना इंतिहा के हो ही नहीं पा रही है! आपने उसे सही सलीके से अर्ज किया है! सादर अभिवादन श्रीमान श्याम सुंदर जी।
Shyam Sundar Subramanian
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8 May 2021 09:36 PM
धन्यवाद !
7 May 2021 04:34 PM
बहुत सुंदर सर नमस्कार
Shyam Sundar Subramanian
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7 May 2021 07:26 PM
धन्यवाद !
7 May 2021 02:35 PM
जहन में बसी ——
गहरी आस्था में डूबी कविता।
प्रणाम।
Shyam Sundar Subramanian
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7 May 2021 02:51 PM
धन्यवाद !
7 May 2021 02:16 PM
बहुत-बहुत धन्यवाद आपका जी प्रेरक प्रसंग
Shyam Sundar Subramanian
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7 May 2021 02:50 PM
धन्यवाद !
7 May 2021 01:53 PM
लाजवाब पंक्ति
Shyam Sundar Subramanian
Author
7 May 2021 02:50 PM
धन्यवाद !
बहुत खूब
श़ुक्रिया !