वर्तमान उत्कट परिदृश्य ।
धन्ययवाद/नमन?
धन्यवाद !
श्रीमान श्याम सुंदर जी, आप के द्वारा व्यक्त विचार इन दिनों शायद सभी के मन मस्तिष्क पर छाए हुए हैं! एक फोन की घंटी भी डरा रही है,कब कौन कौन सा समाचार दे दें,मन वाकई में विचलित होता है बुरे बुरे विचार मन को आक्रांत करने लगते हैं,मन को दूसरी ओर ले जाने के प्रयास कभी कभी तो निष्फल होने लगते हैं, किंतु उन्हीं पलों में अटल जी की कविता की यह पंक्तियां-कभी तो अंधेरा छटेगा, कभी तो सूरज निकलेगा! सुकून प्रदान करती हैं,सादर प्रणाम।
वर्तमान की परिस्थिति में मनःस्थिति पर नियंत्रण रखने के समस्त प्रयास विफल से प्रतीत होते हैं । अतः भावनाओं के काव्य उद्गार प्रकट करने के लिए बाध्य होता हूं।
ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि यह संकट का समय शीघ्र समाप्त हो, एवं चारों ओर शांति स्थापित हो।
ॐ शांति !
बहुत सुंदर प्रस्तुति धन्यवाद आपका जी जय श्रीराम जय श्रीराम
धन्यवाद !
जय श्रीराम !
भावपूर्ण
धन्यवाद !
समय ही ऐसा है। आपको सादर नमस्कार।
वर्तमान परिस्थिति से निर्मित अंतर्मन वेदना की अनुभूति को प्रस्तुत करने का प्रयास किया है ।
धन्यवाद !
आंतरिक भाव को दरसाया है अपने,सुंदर भाव, धन्यवाद प्रणाम आपको ।
प्रोत्साहन का साधुवाद !