माननीय रजक जी सादर अभिवादन! आज आपने वर्तमान समय चक्र पर अपनी चिंता व्यक्त की है, यह वाकई में कठिन समय है, कोई भी संस्थाएं अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह नहीं कर रही,बस अपने उदर पूर्ति के लिए वहां पर मौजूद हैं, काम करने में अड़चनें खडी कर दी जाती है, इस लिए समय गुजारने में ही भलाई समझी जा रही है, नेताओं से ज्यादा उम्मीद करना भी गलत है, उनकी भी सीमाएं निर्धारित हो गई है, सीमा का उलंघन करने का साहस किसी में नहीं है, क्योंकि जनता से दूरी ने उन्हें परजीवी बना दिया है, चमत्कारी नेता से लोगों ने अपने को वसीभूत करके रख छोड़ा है, उसके हर शब्द उन्हें ब्रम्हवाक्य से चमत्कृत से लगते हैं, और उससे बाहर निकल पाना अभी तो संभव प्रतीत होता नहीं दिख रहा है! चिंता व्यक्त करने के लिए आभार।
माननीय रजक जी सादर अभिवादन! आज आपने वर्तमान समय चक्र पर अपनी चिंता व्यक्त की है, यह वाकई में कठिन समय है, कोई भी संस्थाएं अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह नहीं कर रही,बस अपने उदर पूर्ति के लिए वहां पर मौजूद हैं, काम करने में अड़चनें खडी कर दी जाती है, इस लिए समय गुजारने में ही भलाई समझी जा रही है, नेताओं से ज्यादा उम्मीद करना भी गलत है, उनकी भी सीमाएं निर्धारित हो गई है, सीमा का उलंघन करने का साहस किसी में नहीं है, क्योंकि जनता से दूरी ने उन्हें परजीवी बना दिया है, चमत्कारी नेता से लोगों ने अपने को वसीभूत करके रख छोड़ा है, उसके हर शब्द उन्हें ब्रम्हवाक्य से चमत्कृत से लगते हैं, और उससे बाहर निकल पाना अभी तो संभव प्रतीत होता नहीं दिख रहा है! चिंता व्यक्त करने के लिए आभार।
बहुत सुन्दर बहुत बहुत आभार आपका जी