Comments (4)
24 Apr 2021 04:17 PM
बहुत सुंदर सर
Rajesh vyas
Author
24 Apr 2021 04:56 PM
धन्यवाद आदरणीय।
श्रृंगार,प्रेम प्यार, पर आपकी महारत महसूस हो रही है! आपके इस रुप के दर्शन होते रहेंगे ऐसी अपेक्षा है,सादर नमस्कार।
मै हर मानव से प्यार करूं,
विनती ईश्वर से करूं,
बहाते रहना प्रेम की गंगा हृदय में,
इसकी गहराइयों में और उतरू।।
आभार आदरणीय प्रणाम।।