बहुत उम्दा उमा जी.
!!!! सचमुच बहुत ही विचित्र है ।
उमा जी, आपकी कहानी पड़कर हृदय द्रवित हो उठा, मै भी निजी संस्था में शिक्षक हूं,पिछले एक वर्ष से लगभग हर निजी संस्थाओं में यही दशा है।
सीमा जी जैसी परिस्थितियां अनेक के साथ है,खाली हाथ है,ओर आंचल जैसी होनहार बेटियों के साथ यह बहुत अन्याय है।
भाई का स्नेह न मिलना और बुरी बात है।
दर्द हम भी कई सहते है,जीना तो पड़ेगा जीते है। हाथ तो हमारे भी रीते है।।
ईश्वर सब की रक्षा करे।
अच्छा है
वर्तमान त्रासदी की अत्यंत मार्मिक
भावउद्वेलित प्रस्तुति !
धन्यवाद !
जय माता दी ! आपको सहृदय प्रणाम ! रामनवमी की ढेर सारी बधाई !
अभी निजी विद्यालय में अध्ययन-अध्यापन करने वालों के साथ बड़ी ही दयनीय स्थिति बनी हुई है । फिर कोरोना के कारण अभी भी शिक्षण कार्य बंद है पता नहीं भगवान् क्या करने वाले हैं !
कहनी पढ़ने के लिए बहुत बहुत धन्यावाद !
जय माता दी आपको सादर प्रणाम, आप बहुत दिनों बाद आए हैं। रचना बहुत अच्छी लगी।
बहुत सुंदर प्रस्तुति ।
धन्यवाद !