Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
Comments (2)

You must be logged in to post comments.

Login Create Account

आपकी प्रस्तुति से प्रतीत होता है कि आप मानसिक अंतर्द्वंद की स्थिति से गुजर रहे हैं। सर्वप्रथम आपको भविष्य की चिंता छोड़ वर्तमान को स्वीकार कर उस में रहना होगा।
मित्रों एवं सहपाठियों के बीच समूह की देखा देखी मनोवृत्ति से हटकर आत्म चिंतन से व्यक्तिगत सोच का निर्माण करना होगा।
वर्तमान में जो भी उपलब्ध है उसमें संतोष कर उत्तरोत्तर प्रगति के साधनों के विकास के प्रयास करने होंगे ।
धनाभाव की स्थिति से निपटने के लिए विकल्प खोजने होंगे तथा मितव्यवता को अपनाना होगा।
व्यसनों से दूर रहकर स्वचरित्र निर्माण के लिए सार्थक प्रयत्न करने होंगे।
छात्र जीवन के भटकाव वाले प्रलोभनों से दूर रहकर संकल्पित भाव का निर्माण करना होगा।
एकाग्रता बढ़ाने के लिए ध्यान एवं नियमित व्यायाम करना होगा। जिससे शारीरिक एवं मानसिक विकास सुचारू रूप से हो सके।
व्यर्थ समय नष्ट करने के विभिन्न साधनों जैसे मोबाइल चाट , इंटरनेट एवं सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से जहां तक हो सके संलग्न रहने से दूर रहकर समूह सोच मनोवृत्ति से बचना होगा।
छात्र जीवन में अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए संकल्पित भाव से अपने पालकों की अपेक्षाओं पर खरा उतरने के लिए सतत् प्रयत्नशील रहना होगा।
आशा है आप मेरे प्रस्तुत सुझावों से सहमत होंगे।

शुभकामनाओं सहित ,
धन्यवाद !

Loading...