Comments (6)
1 Apr 2021 09:10 PM
प्रेम समर्पण प्रेम ही दर्पण,
करना सब कुछ प्रेम से अर्पण।।
धड़के जब तक धड़कन।।
प्रणाम आदरणीय।
1 Apr 2021 10:01 AM
बहुत सुंदर सार जगत का प्रेमहै। धन्यवाद जी प्रणाम सर जी आपको बहुत बहुत रचना है।
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
Author
1 Apr 2021 11:00 AM
आपको सादर नमस्कार धन्यवाद सर
1 Apr 2021 09:34 AM
अतिसुंदर व्याख्यापूर्ण प्रस्तुति !
धन्यवाद ! ?
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
Author
1 Apr 2021 09:40 AM
आपको सादर प्रणाम धन्यवाद सर
बेहतरीन प्रस्तुति