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अति सुन्दर

प्रेम सृष्टि का सार है । प्रेम सहज व्यवहार । जितना हो विस्तारिए ।यही मनुज व्यापार ।
परम उत्तम ।

बहुत सुंदर सर, आपको सादर प्रणाम धन्यवाद सर

उत्तम रचना चतुर्वेदी जी ।बधाई ।

आपको सादर प्रणाम धन्यवाद सर

बहुत सुंदर प्रस्तुति धन्यवाद आपका जी प्रेम में ईश्वर का वास होता है। धन्यवाद आपका जी

आपको सादर नमस्कार धन्यवाद सर

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