Comments (7)
9 Mar 2021 01:17 PM
प्रेम सृष्टि का सार है । प्रेम सहज व्यवहार । जितना हो विस्तारिए ।यही मनुज व्यापार ।
परम उत्तम ।
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
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9 Mar 2021 05:03 PM
बहुत सुंदर सर, आपको सादर प्रणाम धन्यवाद सर
9 Mar 2021 12:58 PM
उत्तम रचना चतुर्वेदी जी ।बधाई ।
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
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9 Mar 2021 05:03 PM
आपको सादर प्रणाम धन्यवाद सर
9 Mar 2021 10:32 AM
बहुत सुंदर प्रस्तुति धन्यवाद आपका जी प्रेम में ईश्वर का वास होता है। धन्यवाद आपका जी
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
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9 Mar 2021 12:29 PM
आपको सादर नमस्कार धन्यवाद सर
अति सुन्दर