Comments (20)
19 Mar 2021 10:05 PM
दिल की बात लेखनी का हिस्सा हो गई
Shyam Sundar Subramanian
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19 Mar 2021 11:34 PM
धन्यवाद !
11 Mar 2021 09:05 PM
?अद्भुत एवं अत्यंत मार्मिक अभिव्यक्ति, कविवर…!?
Shyam Sundar Subramanian
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11 Mar 2021 09:46 PM
धन्यवाद !
9 Mar 2021 02:08 PM
सार्थक अभिव्यक्ति है आदरणीय! वाह
Shyam Sundar Subramanian
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10 Mar 2021 12:53 AM
प्रोत्साहन का धन्यवाद !
8 Mar 2021 10:32 PM
बहुत अच्छा सृजन ??
Shyam Sundar Subramanian
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9 Mar 2021 06:18 AM
धन्यवाद !
8 Mar 2021 09:29 PM
अति सुंदर प्रस्तुति सर जी
Shyam Sundar Subramanian
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9 Mar 2021 06:18 AM
धन्यवाद !
8 Mar 2021 03:28 PM
“नारी की वेदना”
वास्तव में यह यथार्थ है की नारी आज भी कहीं ना कहीं किसी न किसी रूप में अपने आप को असहज महसूस करती है, प्रत्येक नर समाज का कर्तव्य है वह उनकी वेदना को समझें और समाधान खोजें प्रणाम आदरणीय।
Shyam Sundar Subramanian
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9 Mar 2021 06:18 AM
धन्यवाद !
8 Mar 2021 12:33 PM
परिस्थिति जन्य हालात,जब इंसान चाहने के बावजूद भी कुछ करने में असमर्थ महसूस करता है, भावनाएं जगती भी हैं किन्तु करने में असफलता हाथ लगती है!सादर प्रणाम श्रीमान श्याम सुंदर जी।
Shyam Sundar Subramanian
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8 Mar 2021 01:19 PM
धन्यवाद !
8 Mar 2021 12:06 PM
अति सुन्दर प्रस्तुति धन्यवाद आपका जी
Shyam Sundar Subramanian
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8 Mar 2021 01:19 PM
धन्यवाद !
8 Mar 2021 11:12 AM
सही कहा आपने आपको नमस्कार
Shyam Sundar Subramanian
Author
8 Mar 2021 01:19 PM
धन्यवाद !
समाज में व्याप्त विडंबनाओं को बख़ूबी जानते हैं आप श्याम जी.
दैनिक जीवन में घटित त्रासदी पर एक मूकदर्शक की भांति कुछ कर ना सकने की विवशता की अनुभूति को प्रस्तुत करने का प्रयास किया है।