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3 Mar 2021 12:33 PM

बहुत सुंदर रूहानी प्रेम की जीवंत परिकल्पना। बधाई।

3 Mar 2021 08:42 AM

शानदार दोहे

लक्ष्मी सिंह जी, ज़ेहन में कई चित्र उभर आये। बहुत खूब ‘प्रियवर’ दोहे! बधाई!

शीशा- ए- दिल में छुपा है, ए दिलबर तेरा प्यार ,
जब ज़रा गर्दन झुकाई देख ली तस्वीर- ए -यार,

श़ुक्रिया !

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