Comments (8)
26 Feb 2021 09:04 AM
भरी दुपहरी दूर है गाँव ,
सूनी डगर नहीं है छाँव ।
हमें लग रहा है कि आपको पैदल काफी दूर कहीं जाने पड़ गया है । जाड़े के मौसम के बाद अभी शुरूआती गर्मी में ही । काफी सुंदर चिंतन किया कविता है सर । लेकिन इसमें थोड़ी और पंक्तियाँ जोड़ दीजिये ताकि हमलोगों को पढ़ने और सीखने को मिले ।
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
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26 Feb 2021 11:32 AM
आपको सादर नमस्कार धन्यवाद ऊ
26 Feb 2021 08:53 AM
लाजवाब।
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
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26 Feb 2021 11:31 AM
आपको सादर अभिवादन धन्यवाद सर
26 Feb 2021 07:18 AM
बहुत सुंदर प्रस्तुति धन्यवाद आपका जी
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
Author
26 Feb 2021 07:37 AM
आपको सादर नमस्कार धन्यवाद सर
बधाई चतुर्वेदी जी। आशा करते हैं संपर्क नंबर देंगे ताकि चर्चाएं प्रत्यक्ष कर सकें।
प्रणाम!
आपको सादर नमस्कार सर।९४२५६७३०२५