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Comments (8)

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26 Feb 2021 09:24 AM

बधाई चतुर्वेदी जी। आशा करते हैं संपर्क नंबर देंगे ताकि चर्चाएं प्रत्यक्ष कर सकें।
प्रणाम!

आपको सादर नमस्कार सर।९४२५६७३०२५

भरी दुपहरी दूर है गाँव ,
सूनी डगर नहीं है छाँव ।
हमें लग रहा है कि आपको पैदल काफी दूर कहीं जाने पड़ गया है । जाड़े के मौसम के बाद अभी शुरूआती गर्मी में ही । काफी सुंदर चिंतन किया कविता है सर । लेकिन इसमें थोड़ी और पंक्तियाँ जोड़ दीजिये ताकि हमलोगों को पढ़ने और सीखने को मिले ।

आपको सादर नमस्कार धन्यवाद ऊ

26 Feb 2021 08:53 AM

लाजवाब।

आपको सादर अभिवादन धन्यवाद सर

26 Feb 2021 07:18 AM

बहुत सुंदर प्रस्तुति धन्यवाद आपका जी

आपको सादर नमस्कार धन्यवाद सर

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