Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
Comments (2)

You must be logged in to post comments.

Login Create Account

दिल ने सदमे बहुत उठाएं हैं , आप फिर भी अभी पराए हैं , छलनी छलनी हुए हैं जिस्मो जाँ , तीर क्यूँ बेनिशाँ लगाए हैं , आप रास्ता न भूल जाएं कहीं , आंसुओं के दीए जलाएं जलाएं हैं , वक्त से पहले रोज़े हश्ऱ आया , आपने क्यूँ नकाब उठाएं हैं , कहकशां है गुब़ारे राह मेरा , किसने ये रास्ते सजाएंं हैं , श़ुक्रिया !

14 Feb 2021 07:34 AM

बहुत सुंदर सृजन अदम्य जी । मैंने आपको मत दे दिया है। आपके द्वारा मेरी रचना ” अधूरा पर पूर्ण प्यार” का अवलोकन अपेक्षित है और यदि ठीक लगे तो अपनी यथा उचित समीक्षा टिप्पड़ी व वोट अवश्य प्रदान करें। सादर।

Loading...