Comments (8)
11 Feb 2021 01:02 PM
बहुत सुंदर सर
11 Feb 2021 12:54 PM
हमारे विकास के सपनों ने ना जाने कितने मासूमों को अकाल काल के गाल तक पहुंचा दिया है, आपकी रचना में बहुत कुछ परिलक्षित हो रहा है,इंन्ही आपदाओं पर मैंने भी कुछ कहने का प्रयास किया है, जो आज ही उपलब्ध है, गौर कीजियेगा कहीं कोई चूक तो नहीं रह गई हो,सादर अभिवादन।
11 Feb 2021 12:50 PM
वाह सामयिक और बहुत मर्मस्पर्शी रचना। बधाई
आपकी कृति बहुत अच्छी है.
मेरी रचना “प्रेम……किस्तों में” पसंद आए तो कृपया उसे अपना बहुमूल्य वोट प्रदान करने की अपार कृपा करेंगे.
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आभार