लोकतंत्र को बचाने के लिए? इस रचना के माध्यम से अपने लोकतंत्र में आ रहे ह्रास पर अपनी चिंता जताते हुए इस,के पुनर्स्थापना के उपाय सुझाए हैं!बिगत तीन दिन पूर्व ही मंथन में मैंने भी इसी ओर इशारा किया है, और अब देश भर में इसके लिए आवाज उठाने के लिए सड़कों पर उतर कर उपद्रवी बनना आवश्यक नहीं है बल्कि अपने अपने स्तर से सुझाव सुझा कर जन चेतना को उद्वेलित किया जा सकता है!सादर प्रणाम श्रीमान चतुर्वेदी जी।
सही कहा आपने,विगत दिनों से आंदोलन हाईजैक हो रहे हैं,देश विरोधी ताकतों को चंदा मिलता है। ये ताकतें उपद्रव चाहतीं हैं, अस्थिरता पैदा करना चाहते हैं। आपको सादर प्रणाम धन्यवाद सर
लोकतंत्र को बचाने के लिए? इस रचना के माध्यम से अपने लोकतंत्र में आ रहे ह्रास पर अपनी चिंता जताते हुए इस,के पुनर्स्थापना के उपाय सुझाए हैं!बिगत तीन दिन पूर्व ही मंथन में मैंने भी इसी ओर इशारा किया है, और अब देश भर में इसके लिए आवाज उठाने के लिए सड़कों पर उतर कर उपद्रवी बनना आवश्यक नहीं है बल्कि अपने अपने स्तर से सुझाव सुझा कर जन चेतना को उद्वेलित किया जा सकता है!सादर प्रणाम श्रीमान चतुर्वेदी जी।
सही कहा आपने,विगत दिनों से आंदोलन हाईजैक हो रहे हैं,देश विरोधी ताकतों को चंदा मिलता है। ये ताकतें उपद्रव चाहतीं हैं, अस्थिरता पैदा करना चाहते हैं। आपको सादर प्रणाम धन्यवाद सर