Comments (6)
26 Jan 2021 02:55 PM
हकीकत को बयां करती आपकी यह रचना बहुत ही तर्कसंगत एवं सटीक रुप से आज तक के परिवेश को रेखांकित करती है सादर प्रणाम श्रीमान चतुर्वेदी जी।
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
Author
26 Jan 2021 03:40 PM
आपको सादर प्रणाम धन्यवाद सर।
26 Jan 2021 09:29 AM
तंत्र मजे में और गण परेशान है,
क्या यही सपनों का हिन्दोस्तान है ।।
बहुत ही खूबसूरत पंक्ति सर , जबरदस्त ।।
गणतंत्र की हार्दिक शुभकामनाएं ।
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
Author
26 Jan 2021 03:39 PM
आपको गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं बधाई। सादर नमस्कार धन्यवाद सर।
बहुत खूब सुंदर लिखा पर जनता जाग जाए तब जनता तो बहुत डरपोक है पटवारी पर सब मालूम तनखा मिलती है। बहुत सुंदर धन्यवाद चतुर्वेदी बहुत अच्छा लिखा है जी आपने
आपको सादर अभिवादन धन्यवाद